🛩️ उत्तराखंड में फिर हेलिकॉप्टर हादसा – 2 महीने में 5वीं घटना, जानिए 5 बड़े कारण
उत्तराखंड में एक बार फिर हेलिकॉप्टर हादसे की खबर ने चिंता बढ़ा दी है। बीते 2 महीनों में यह पांचवां हादसा है, जिसने सरकार और नागरिक उड्डयन मंत्रालय दोनों को झकझोर दिया है। आखिर क्यों हो रहे हैं ये हादसे? क्या खराब मौसम ही अकेली वजह है? आइए जानते हैं 5 प्रमुख कारण जिनसे उत्तराखंड में हेलिकॉप्टर हादसे लगातार हो रहे हैं।
✋ 1. अत्यधिक उड़ानों का दबाव और अनियंत्रित संचालन
चारधाम यात्रा और धार्मिक पर्यटन के दौरान हेलिकॉप्टर सेवाओं की मांग अचानक कई गुना बढ़ जाती है। कई बार कंपनियां सुरक्षा मानकों की अनदेखी कर तेजी से उड़ानें संचालित करती हैं, जिससे तकनीकी जांच या पायलट ब्रेक की अनदेखी होती है।
🌫️ 2. खराब मौसम और अचानक बदलते हालात
उत्तराखंड एक पहाड़ी राज्य है, जहां मौसम मिनटों में बदल सकता है। घने बादल, तेज़ हवाएं और कम विजिबिलिटी पायलटों के लिए बड़ा खतरा बनती हैं, खासकर जब उड़ानें जल्दी-जल्दी कराई जाती हैं।
🛠️ 3. पुराने हेलिकॉप्टर और अपर्याप्त रखरखाव
कुछ निजी ऑपरेटर पुराने मॉडल के हेलिकॉप्टर चला रहे हैं। नियमित मेंटेनेंस या तकनीकी जांच में कोताही हादसों को न्यौता देती है। DGCA (नागर विमानन महानिदेशालय) की रिपोर्टों में भी ऐसे मामलों की ओर इशारा किया गया है।
🧭 4. अनुभवी पायलटों की कमी
तेजी से बढ़ी उड़ानों की मांग को पूरा करने के लिए कभी-कभी कम अनुभव वाले पायलटों को पर्वतीय मार्गों पर उड़ान भरने के लिए भेजा जाता है। इन इलाकों में उड़ान भरने के लिए विशेष अनुभव और प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।
🔍 5. मॉनिटरिंग और रेगुलेशन में ढील
DGCA की निगरानी टीमें सभी उड़ानों की नियमित जांच नहीं कर पातीं। कई बार उड़ान की अनुमति बिना पूरी सुरक्षा प्रक्रिया के दे दी जाती है, जो बाद में दुर्घटना का कारण बनती है।
🚁 निष्कर्ष:
उत्तराखंड जैसे संवेदनशील पर्वतीय क्षेत्रों में हेलिकॉप्टर सेवाएं राहत और तीर्थ यात्रा के लिए ज़रूरी हैं, लेकिन बिना कठोर नियमों और सतर्कता के ये जानलेवा भी बन सकती हैं। सरकार को चाहिए कि वह सभी ऑपरेटरों के हेलिकॉप्टर की सुरक्षा जांच, पायलट ट्रेनिंग और मौसम निगरानी तंत्र को और मज़बूत करे।