प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह यात्रा सिर्फ एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की उस बदलती वैश्विक भूमिका का प्रमाण है जो अब निर्णायक हो चुकी है। G-7 जैसे उच्चस्तरीय मंच पर उनकी मौजूदगी यह दर्शाती है कि भारत अब सिर्फ एक दर्शक नहीं, बल्कि वैश्विक मुद्दों पर नीति निर्धारण में भागीदार बन रहा है।
🤝 भारत-कनाडा: रिश्तों में नई शुरुआत
भारत और कनाडा के रिश्तों में जहां एक समय राजनीतिक बयानबाज़ी और अविश्वास का दौर था, अब वहाँ संवाद और सहयोग की वापसी हो रही है। आतंकवाद और संगठित अपराध से निपटने में साझा खुफिया सहयोग एक ऐसा ठोस कदम है जो आने वाले वर्षों में द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत आधार प्रदान करेगा।
प्रधानमंत्री मोदी और कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की मुलाकात इस दिशा में एक राजनीतिक संकल्प का संकेत है, जो दोनों देशों के हितों के लिए आवश्यक भी है।
🌐 बहुपक्षीय संबंधों में भारत की रणनीति
भारत की विदेश नीति अब पहले की तरह केवल संतुलनकारी नहीं रही, बल्कि सक्रिय बहु-संरेखण (multi-alignment) पर आधारित है।
अमेरिका और इटली के साथ द्विपक्षीय वार्ताएं इसी रणनीति का हिस्सा हैं — जो तकनीकी नवाचार, रक्षा सहयोग और व्यापार विस्तार जैसे क्षेत्रों में नई संभावनाएं खोल रही हैं।
मोदी की इस यात्रा से यह साफ हो गया है कि भारत अब एक स्थिर, विश्वासपात्र और प्रभावशाली वैश्विक शक्ति के रूप में देखा जा रहा है — जो ग्लोबल साउथ की आवाज़ भी है और उभरती हुई अर्थव्यवस्था का नेतृत्वकर्ता भी।
🧠 AI, एनर्जी और वैश्विक नीतियां: भारत का प्रभाव
भारत अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ग्रीन एनर्जी और डिजिटल इनफ्रास्ट्रक्चर जैसे भविष्य के विषयों पर भी आवाज उठा रहा है, समाधान सुझा रहा है और नीतियाँ गढ़ रहा है।
G-7 मंच पर उसकी भागीदारी यह दर्शाती है कि भारत सिर्फ उपस्थिति दर्ज कराने नहीं, बल्कि एजेंडा तय करने पहुंचा है।