भारत में गुरुवार की दोपहर एक भीषण विमान हादसे ने पूरे देश को झकझोर दिया। एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171, जो अहमदाबाद से लंदन जा रही थी, उड़ान भरने के कुछ ही सेकंड बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे में कुल 265 लोगों की मौत हो गई, जबकि केवल एक यात्री ज़िंदा बच पाया है।
सूत्रों के मुताबिक, विमान जैसे ही रनवे से ऊपर उठा, उसमें तकनीकी खराबी आई। इसके तुरंत बाद पायलट ने ‘मेडे कॉल’ भेजा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। विमान मेघानीनगर इलाके के पास एक मेडिकल हॉस्टल और रिहायशी बस्ती पर गिरा, जिससे ज़मीन पर भी भारी तबाही मची। धमाके के साथ विमान में आग लग गई और चारों ओर अफरातफरी फैल गई।
विमान में 242 लोग सवार थे, जिनमें क्रू मेंबर्स और यात्री शामिल थे। इसके अलावा ज़मीन पर कई लोग हादसे की चपेट में आए। कुल 265 लोगों की मौत हुई है। इस त्रासदी में केवल 27 वर्षीय विश्वास कुमार रमेश नामक युवक जीवित बच पाए, जो सीट 11A पर बैठे थे।
राहत और बचाव कार्य में सेना, वायुसेना, फायर ब्रिगेड और NDRF की टीमें जुटीं। कई शवों को मलबे से निकालना पड़ा, और घायलों को अहमदाबाद सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। मेडिकल हॉस्टल के कई छात्र भी हादसे की चपेट में आए हैं।
सरकार ने इस घटना को “राष्ट्रीय आपदा” घोषित करते हुए मृतकों के परिजनों को ₹1 करोड़ का मुआवज़ा और घायलों के मुफ्त इलाज की घोषणा की है। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री दोनों ने हादसे पर शोक व्यक्त किया है। एयर इंडिया और टाटा समूह ने भी अपनी ओर से सहायता देने की बात कही है।
हादसे की जांच के लिए DGCA और बोइंग (विमान निर्माता कंपनी) ने संयुक्त रूप से जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक रिपोर्टों में यह संकेत मिल रहा है कि तकनीकी जांच और एयरलाइन की ज़िम्मेदारी तय करने में चूक हुई हो सकती है।
यह हादसा भारत के विमानन इतिहास में सबसे दुखद घटनाओं में से एक बन गया है। अब समय आ गया है कि एविएशन इंडस्ट्री में तकनीकी जांच, प्रशिक्षण और सुरक्षा व्यवस्था को नए सिरे से सख्त बनाया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।