रूस की शांति पेशकश पर ट्रंप का जवाब: ‘पहले अपना युद्ध देखो’

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अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक नया मोड़ तब आया जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मध्य पूर्व में चल रहे ईरान–इज़राइल संघर्ष में मध्यस्थता की पेशकश की। हालांकि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस प्रस्ताव को स्पष्ट शब्दों में खारिज करते हुए पुतिन को सलाह दी: “पहले अपना रूस सुलझाओ, फिर दुनिया की बात करो।”

🧭 पृष्ठभूमि: बढ़ते तनाव और वैश्विक प्रतिक्रिया

हाल के सप्ताहों में ईरान और इज़राइल के बीच तनाव चरम पर है। ईरान की ओर से मिसाइल परीक्षण और इज़राइली वायुसेना की जवाबी कार्रवाई के चलते पश्चिम एशिया एक बार फिर युद्ध की कगार पर आ गया है। ऐसे में रूस ने अमेरिका, ईरान और इज़राइल के बीच “शांति वार्ता” का मंच बनने की पेशकश की है।

लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने इस प्रस्ताव पर तीखी प्रतिक्रिया दी।

🗣️ ट्रंप का बयान: “मुझे यह हास्यास्पद लगा”

ट्रंप ने एक सार्वजनिक इंटरव्यू में कहा:

“मैंने पुतिन से कहा – आप अभी अपने ही देश (रूस) को यूक्रेन युद्ध से नहीं निकाल पाए हैं। फिर ईरान और इज़राइल के बीच मध्यस्थ बनने की कोशिश करना समझ से परे है। पहले अपने रूस का हल निकालो।”

उन्होंने आगे कहा, “जब रूस खुद युद्ध में उलझा हो, तब उसे दूसरों के युद्ध में मध्यस्थता का सुझाव देना हास्यास्पद लगता है।”

🌐 रूस का प्रस्ताव: ‘अनौपचारिक शांति पहल’

पुतिन ने अपने प्रस्ताव को “विचार साझा” (Idea sharing) बताया और यह भी स्पष्ट किया कि रूस यह दबाव बनाने की कोशिश नहीं कर रहा, बल्कि एक संभावित “Third Party Mediator” बनने का इच्छुक है।

उन्होंने यह संकेत भी दिया कि रूस अमेरिका, ईरान और इज़राइल के साथ सभी स्तरों पर संवाद को प्रोत्साहित करना चाहता है — खासकर जब पश्चिम एशिया में शांति की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है।

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⚔️ अमेरिका का दृष्टिकोण: ‘नो इंटर्वेंशन पॉलिसी’

बाइडन प्रशासन पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि अमेरिका वर्तमान में ईरान और इज़राइल के संघर्ष में सैन्य हस्तक्षेप नहीं करना चाहता। ट्रंप, जो 2024 में पुनः चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं, इस मुद्दे पर अपने कड़े राष्ट्रवादी रुख को दोहराते हुए दिखे।

🔎 विश्लेषण: ट्रंप की यह टिप्पणी केवल रूस को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को एक संकेत देती है — अमेरिका को पहले अपने घरेलू और सीमावर्ती सुरक्षा मामलों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

📌 निष्कर्ष

रूस की “मध्यस्थता” की पेशकश जहां एक ओर उसकी वैश्विक भूमिका को फिर से स्थापित करने की कोशिश है, वहीं ट्रंप की प्रतिक्रिया वैश्विक नेतृत्व की प्राथमिकताओं की वास्तविकता को उजागर करती है। यूक्रेन युद्ध अभी भी चल रहा है, ऐसे में रूस का खुद को शांति दूत के रूप में प्रस्तुत करना कहीं न कहीं अंतरराष्ट्रीय राजनीति की दोहरीताओं को उजागर करता है।

🗣️ आपकी राय क्या है?

क्या रूस की यह पहल जरूरी है या पहले उसे यूक्रेन युद्ध को सुलझाना चाहिए?

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