BRICS विस्तार: भारत की बदलती भूमिका और वैश्विक प्रभाव

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--- ## BRICS विस्तार: भारत की बदलती भूमिका और वैश्विक प्रभाव

BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) अब सिर्फ एक आर्थिक गठबंधन नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति का एक महत्वपूर्ण वैकल्पिक मॉडल बन गया है। हाल ही में ईरान, मिस्र, सऊदी अरब, इथियोपिया और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जैसे नए सदस्यों को शामिल करने के निमंत्रण के साथ BRICS का विस्तार चर्चा का केंद्र बन गया है, जो एक नई विश्व व्यवस्था का संकेत दे रहा है।

विस्तार की आवश्यकता क्यों?

  1. पश्चिमी वर्चस्व को संतुलित करना: BRICS का मुख्य उद्देश्य पश्चिमी देशों, विशेषकर अमेरिका और यूरोपीय संघ के आर्थिक-राजनीतिक प्रभाव को संतुलित करना है।
  2. उभरती अर्थव्यवस्थाओं की आवाज़: यह उन देशों को एक मंच प्रदान करता है जो G7 जैसे समूहों में शामिल नहीं हो पाए हैं, जिससे वे अपनी स्थिति मजबूत कर सकें।
  3. डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती: BRICS देश अब साझा मुद्रा या बहु-मुद्रा व्यापार पर विचार कर रहे हैं, ताकि अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम हो सके।

भारत की भूमिका: स्थिरता और संतुलन का सूत्रधार

भारत BRICS में एक संतुलनकारी भूमिका निभाता है। यह पश्चिम और ग्लोबल साउथ दोनों के साथ मजबूत संबंध रखता है। चीन और रूस के साथ सहयोग करते हुए भी, भारत अमेरिका और यूरोप के साथ अपने संबंधों को बनाए रखता है।

भारत की टेक्नोलॉजी और स्टार्टअप लीडरशिप, विशेषकर उसकी UPI जैसी डिजिटल भुगतान प्रणालियों और जीवंत स्टार्टअप इकोसिस्टम ने उसे एक प्रगतिशील राष्ट्र के रूप में स्थापित किया है। अपनी डिप्लोमेसी और सॉफ्ट पावर (जैसे योग और आयुर्वेद) के माध्यम से, भारत BRICS को एक “पीपल-सेंट्रिक” पहचान देने का प्रयास कर रहा है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित है।

चुनौतियाँ

BRICS के विस्तार के साथ कुछ चुनौतियाँ भी हैं:

  1. भारत-चीन टकराव: दोनों एशियाई शक्तियों के बीच सीमा विवाद BRICS के भीतर मतभेद पैदा कर सकता है।
  2. नीति निर्धारण में भिन्नता: सदस्य देशों की आर्थिक संरचनाएं और राजनीतिक विचारधाराएं अलग-अलग हैं, जिससे एकीकृत नीति बनाना मुश्किल हो सकता है।
  3. संस्थागत ढांचे की कमी: BRICS को यूरोपीय संघ (EU) जैसी मजबूत संस्थागत व्यवस्था विकसित करनी होगी ताकि उसका विस्तार सफल हो सके।

भविष्य की झलक: क्या BRICS नया G20 बन पाएगा?

BRICS का विस्तार स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि दुनिया बहुध्रुवीय (multipolar) व्यवस्था की ओर बढ़ रही है। इस बदलाव में भारत न केवल एक भागीदार है, बल्कि एक स्थिर और जिम्मेदार नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभा रहा है।

निष्कर्ष

BRICS का विस्तार भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक अवसर और चुनौती दोनों है। यदि भारत इस मंच का प्रभावी ढंग से नेतृत्व करता है, तो वह भविष्य में ग्लोबल साउथ के अनौपचारिक नेता के रूप में उभर सकता है। एक वैकल्पिक विश्व व्यवस्था की ओर बढ़ते हुए भारत की भूमिका निर्णायक होगी।


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