पीएम मोदी का ऐतिहासिक साइप्रस दौरा: तुर्की को मिला कड़ा संदेश, भारत की कूटनीति का नया अध्याय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साइप्रस की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा करके एक नया इतिहास रच दिया है। यह यात्रा सिर्फ दो देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह तुर्की जैसे देशों को एक स्पष्ट और सधा हुआ रणनीतिक संदेश भी है, जो अक्सर भारत के आंतरिक मामलों पर अनावश्यक टिप्पणी करते हैं। इस दौरे ने न केवल भारत की मुखर विदेश नीति को दुनिया के सामने रखा है, बल्कि द्विपक्षीय सहयोग के नए दरवाजे भी खोले हैं।
🏅 साइप्रस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान: भारत के लिए गर्व का क्षण
साइप्रस की राजधानी निकोसिया में एक भव्य समारोह के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस III” (Grand Cross of the Order of Makarios III) से सम्मानित किया गया। यह प्रतिष्ठित सम्मान पाने वाले वे पहले भारतीय नेता हैं। पीएम मोदी ने इस सम्मान को 140 करोड़ भारतीयों को समर्पित करते हुए कहा कि यह दोनों देशों के बीच गहरे और स्थायी संबंधों का प्रतीक है।
🌍 भू-राजनीतिक बिसात पर साइप्रस कार्ड: तुर्की को कूटनीतिक जवाब
इस दौरे का सबसे महत्वपूर्ण पहलू इसका भू-राजनीतिक महत्व है। भारत ने साइप्रस के साथ अपने संबंधों को मजबूत करके तुर्की को एक शक्तिशाली संदेश दिया है।
- तुर्की का भारत विरोधी रुख: तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोआन कई अंतरराष्ट्रीय मंचों, विशेषकर संयुक्त राष्ट्र में, कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने और CAA जैसे भारत के आंतरिक मामलों पर बयानबाजी करते रहे हैं।
- भारत का रणनीतिक संतुलन: अब भारत ने तुर्की को उसी की भाषा में जवाब दिया है। साइप्रस वह देश है जिसके उत्तरी हिस्से पर तुर्की ने 1974 में अवैध रूप से कब्जा कर लिया था। भारत ने हमेशा साइप्रस की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन किया है। इस यात्रा ने उस समर्थन को एक नई ऊंचाई दी है, जो तुर्की के लिए एक स्पष्ट संकेत है कि भारत अपने दोस्तों के साथ खड़ा है।
🤝 रक्षा से डिजिटल तक: सामरिक समझौतों की नई इबारत
प्रधानमंत्री मोदी और साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडुलाइडिस के बीच हुई वार्ताओं ने दोनों देशों के संबंधों को एक नई रणनीतिक दिशा दी है। निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों में महत्वपूर्ण समझौते हुए:
- रक्षा और समुद्री सुरक्षा: दोनों देश नौसेना सहयोग बढ़ाएंगे, जिसमें संयुक्त अभ्यास और तटीय सुरक्षा के लिए खुफिया जानकारी साझा करना शामिल है। यह भूमध्य सागर में भारत की उपस्थिति को भी मजबूत करेगा।
- साइबर सुरक्षा समझौता: बढ़ते डिजिटल खतरों और साइबर आतंकवाद से निपटने के लिए दोनों देश मिलकर काम करेंगे।
- ब्लू इकॉनॉमी (Blue Economy): समुद्री संसाधनों के सतत उपयोग और प्रबंधन में साझेदारी पर सहमति बनी, जिससे दोनों देशों के लिए आर्थिक अवसर पैदा होंगे।
- डिजिटल भुगतान प्रणाली (UPI): भारत की क्रांतिकारी UPI प्रणाली को साइप्रस में लॉन्च करने पर बातचीत आगे बढ़ी है। इससे पर्यटन और व्यापार को भारी बढ़ावा मिलेगा।
📈 व्यापार और यूरोपीय संघ: FTA की राह हुई आसान
यह यात्रा सिर्फ रणनीतिक ही नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से भी बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है।
पीएम मोदी ने विश्वास जताया कि भारत और यूरोपीय संघ (EU) के बीच मुक्त व्यापार समझौता (FTA) इस साल के अंत तक अंतिम रूप ले सकता है। साइप्रस, यूरोपीय संघ का एक महत्वपूर्ण सदस्य होने के नाते, इस समझौते को जल्द से जल्द लागू करवाने में भारत के लिए एक मजबूत सहयोगी की भूमिका निभाएगा।
भारत की साइप्रस रणनीति के 4 बड़े स्तंभ
रणनीति | विवरण |
कूटनीतिक संतुलन | तुर्की की हरकतों का मुकाबला करने के लिए साइप्रस को एक रणनीतिक साझेदार के रूप में स्थापित करना। |
EU में पैठ | साइप्रस के माध्यम से यूरोपीय संघ में भारत के आर्थिक और रणनीतिक हितों को मजबूती प्रदान करना। |
सुरक्षा साझेदारी | रक्षा, नौसेना और साइबर सुरक्षा में सहयोग करके भारत की तकनीकी और सैन्य ताकत का विस्तार करना। |
सॉफ्ट पावर का उपयोग | सर्वोच्च नागरिक सम्मान और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के जरिए भारत की वैश्विक छवि को और मजबूत करना। |
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री मोदी का साइप्रस दौरा “नए भारत” की उस विदेश नीति का प्रतीक है जो अब केवल प्रतिक्रिया नहीं देती, बल्कि सक्रिय रूप से अपने हितों को साधती है। यह नरम शक्ति और मुखर कूटनीति का एक बेहतरीन संतुलन है। यह यात्रा न केवल भारत-साइप्रस संबंधों के लिए एक मील का पत्थर है, बल्कि यह वैश्विक मंच पर भारत के बढ़ते कद और आत्मविश्वास को भी दर्शाती है।
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